गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

तुम्हारा स्नेह -पाश



तुम्हारा हर शब्द मेरी आत्मा तक पहुँचता है . 
हर शब्द मुझे झकोर -झकोर के कहता है  कि

मैं तुम्हारे लिए ही मन के आंगन से निकला हूँ .
हर बार जवाब मिलता है  मुझे,
मेरा तुम्हारे शब्दों से ,

तुम्हारी वेदना,
और सब कुछ कह के भी चुप रह जाने की आदत से 

मैं  तुम्हारे इसी विश्वास के साथ बंधी हूँ 
और सदा बंधी रहूंगी|

तुम्हारे इस स्नेह पाश में सदा बंधी रहूंगी |

-- अनुभूति 

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................