आप की खामोशी ,
मेरे हर सवाल का जवाब होती है |
बिन मांगे भी सब कुछ दे देने की आप की अदा ,
हर बार आप को जिन्दगी में नया मुकाम देती है .
क्या करूँ अल्फाजों से जिन्दगी को बयाँ ?
जब सोचती हूँ अपने को ,
हर सांस
हमको आप के कदमो पे झुका देती है..
अपनी रहमतो का साया
यूँ ही जिन्दगी पे बनाए रखना ,
इस कदमो की धूल को ,
बस, अपने कदमो से लगाये रखना |
मांगू अब क्या खुदा से और ,
बस कदमो की धूल को
कदमो से लगाये रखना ,
मेरे खुदा !
-- अनुभूति