खुद पे नहीं यकीं जितना ,
उतना हम तुमपे यकीं रखते हैं |
तुम समझ सको या न समझ सको
हम तुम्हारे ही कदमो पे अपनी जिन्दगी को रखते हैं |
बहुत मुश्किल हैं ,हालत-ए-दौर में जिन्दगी को समझना ,
इसे ही अपना नसीब मान कर हम ,तेरी बंदगी करते हैं |
खुदा ढूढने निकली थी मैं इस दुनिया में
कोई एक खुदा मिला हो तो बात भी हो|
यंहा तो,
खुदा यूँ मेहरबां,
हम पे ,
के हर कदम ,
एक
नए फ़रिश्ते से मुलाकात होती हैं |
-- अनुभूति