वो पूनम का चाँद और तेरा ये रूप ,
ख़ामोशी में गूँजता गोरी तेरी आँखों का गीत ,
तेरा लहराता आँचल और मतवाले काजल का जादू
ये मौन निमंत्रण स्नेह का ,प्रिय को
खामोश रहके भी दीवाना करते हैं
हाथों का चुड़ा , और पेरों की जंजीर
तेरे माथे लगी वो कुमकुम की टिप
होठों की मुस्कुराहट ,
वो शर्माने की अदा
वो घुंघट !
ये सब तेरा उनकी होने का दावा करते हैं |
सब कुछ सूना हैं जो रूठे बेठे हैं ठाकुर तुझसे गोरी
ये चांदनी भी अधूरी हैं ,
और तेरा चाँद चेहरा भी सूना हैं प्रियतम के
और तेरा चाँद चेहरा भी सूना हैं प्रियतम के
अधरों के बिन .
वो कभी न तुझसे मानेंगे ,
ये रूप योवन कुछ नहीं कुछ देरमें मिट जाना हैं
साथ कुछ नहीं
आत्मा को जाना हैं ,
गोरी छोड़ योवन अब आजा जीवन सत्य की देहलीज
इस आत्मा से उस आत्मा का साथ हैं साचा बस |
छोड़ सोलह सिंगार ,
छोड़ सोलह सिंगार ,
तेरे ठाकुर तुझको चाहे तेरी आत्मा से
ओ दीवानी !
अब तो समझ ,
अब तो समझ ,
समझा रहा मन
माने क्यों न आत्मा अब तेरी !
अनुभूति