गुरुवार, 19 मई 2011

जिन्दगी बस यूँ ही मुस्कुराती रहो |

आज चुन लायी हूँ,
अमलतास के फुल ,
और भर लायी हूँ,
जिन्दगी से अपना आँचल ,
लौट आई हैं मेरे शबदों की आत्मा ,
जिन्दगी तेरी मुस्कुराहटों से ,
हर कदम पे कायनात यूँ ही सजी रहे ,
मेरे सपनों के अमलतास की तरह
और में जिन्दगी तेरी मुस्कुराहटों ,
से अपना आँचल भरती रहूँ |
बस इतनी ही गुजारिश हैं
जिन्दगी बस यूँ ही मुस्कुराती रहो |
तेरी मुस्कुराहटों से रोशन ,
मेरी जिन्दगी का हर लम्हा
अश्क नहीं अब इस चेहरे पे
खेलती हैं तुझे देख ,
महसूस करके
इन होठों पे तब्बसुम की बिजिलियाँ |

"अनुभूति "

पथरीले पथ ,

ओ कृष्ण कन्हाई!
मुरली वाले !
 नींद नहीं आखो में अब ,
निस दिन मांगे ,
ये जीवन आप से नवीन पथ ,
चेन कँहा से लाऊ,
जब बंद करू आँखे
देखे मन नदियाँ ,
पहाड़ , पथरीले पथ ,
स्वप्नों में भी क्यों सुकून हैं इन पथरीली राहो में 
ये कोनसा मार्ग हैं जीवन का ये सुलझा दे |
ये मेरी मुक्ति का मार्ग हैं या कोई भ्रम 
जो भी हैं प्रभु अब मेरा मार्ग सुलझा दे !+
दे आशीष मुझे इन कष्टों से 
  मुक्ति दिला दे |

"अनुभूति "

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................