गुरुवार, 2 जून 2011

गीत गाती हैं आज मन की नगरिया

     ओ कोस्तुभ धारी 
            गीत गाती हैं आज मन की नगरिया 
            जब प्रीत मिल जाती हैं बन के सावरियां .
         मेरी भक्ति , शक्ति , सभी आप 
 मेरे कृष्णा   श्री चरणों में अनुभूति

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................