शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

मेरे राम , मेरे तो गुरु भी आप ,,


मेरे राम ,
कोटि -कोटि इन चरण में
आप को प्रणाम
मेरे तो गुरु भी आप ,,
जीवन के सत्य और अक्ष्णु विशवास के साथी भी आप
कठिन हैं मेरा पल -पल जीवन भी आप के बिना
केसे लेलूं हर पर सांस भी राम के नाम के बिना |
कभी लगे समझ नहीं पाऊँ आप में आप का मार्ग
कभी लगे संसार से ज्यादा जानू में राम
नहीं जानू आप की लीला में जगदीश्वर !
मेरे जीवन के स्वामी
इस पावन दिन दीजो मुझे स्नेह आशीष
करू में तुम्हरे इस अश्रुं जल से इन चरण धोकर आप को प्रणाम
भयभीत हूँ में ,विचलित हूँ में
केसे समझाऊ इस दुनिया को मेरे राम
संसार रूठा हो तो बात थी
रूठे हैं राम
दया करो
दयानिधे
दया करो
मेरे नाथ मेरे राम !

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................