सोमवार, 8 अगस्त 2011

बरसता स्नेह तुम्हारे नाम

   बरसता स्नेह तुम्हारे नाम

   ये तेरे नाम की तिशनगी रहे रोशन मेरी सासों में,

  तेरी मोहब्बत बहती हैं बन के आफ़ताब इन सांसो में |



  बरसता हैं तेरा असीम स्नेह मुझपे ,जेसे खुदा लुटा रहा हो हुस्न 

  मुझपे बनाके कोई शमशीर ,मेरे लबो की सिहरन पे |

मेरी दुआ



मेरे खुदा !तेरी रहमतो का साया मुझपे हूँ ही बरसता रहे
में मरती रहूतेरे नाम से और तू मुझे ज़िंदा रखने की दुआ करता रहे।

मुझे नहीं पता मेरी अगली सुबह मेरा क्या होगा !
सब कुछ तेरे हवाले मेरे मसीहा, तो अब मुझ जेसा कोई क्या करे ?



मेने किया हैं इस रूह से गुजरता हर लम्हा तेरे नाम!
काश तू इस धरती पे उतर कर एक इंसान बने तो,
इस गुजरते लम्हे की कोई बात बने |

काश समझा सकती में अपनी इबादत को
तेरी पन्हाओ में आके
ऐसी मेरी दुआ करो कभी कबूल तो कोई बात बने |

मेरी रूह ने तो की तेरे पाक साए पे पांच वक्त की नमाज अदा
काश कभी मेरी रूह की इबादत को ,
अपनी रूह से कबूल फरमाएं तो कोई बात बने |


अनुभूति

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................