शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

मेरे गिरिधर , गोविन्द !तुम्हारे चरणों में स्नेह अश्रु प्रणाम



मेरे राम !
मेरे माधव !
मेरे गिरिधर , गोविन्द !
जिस दिन न करे ये आत्मा तुम्हारे चरणों में  स्नेह अश्रु प्रणाम 
इस आत्मा को चेन नहीं 
सुध नहीं ,तडपत हैं 
 मेरा रोम -रोम गिरिधर लेकर हरसांस तेरा नाम !
तेरी  साँसे छु जाएँ जब मुझे 
आत्मा हो गद -गद 
झुक जाएँ ,
ये आत्मा तेरे चरणों में 
मेरे राम ! 
कोई सांस नहीं ऐसी मेरी ,
कोई आस नहीं ऐसी मेरी 
जो बिन तुम्हारे चरण छुएं कर सके
इस संसार का कोई काम .
इस बावरी की आत्मा को बस
एक बार देना जीवन में 
तुम्हारे चरणों को अपने अश्रु जल से धोने का वरदान 

श्री चरणों में अनुभूति


तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................