सोमवार, 21 नवंबर 2011

एक दिन मैं तुझसे आ मिलूंगी ,मेरे कृष्णा !

मेरे कृष्णा !
तेरी आत्मा  की धवल चांदनी से सजी हैं
तनहा जिंदगी की राहे 
केसी रहमत हैं 
ये तेरे स्नेह  की जो एक बूंद मे ही मुझे भिगो देती हैं 
समन्दर की तरह 
हां समन्दर हो तुम मेरे स्नेह का 
बस नहीं हैं जिंदगी के हालातों  पे 
मुझे नहीं पाता तुझे मैं कंहा खोजू  ?
इतना जानती हूँ कृष्णा !
मेरी तडपती आत्मा एक दिन तेरे कदमो से 
लिपट के आंसू बहा रही होगी .................
बस ,इसीलिए जी रही हूँ 
मेरे कृष्णा !
श्री चरणों मे तुम्हारी अनु






तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................