शुक्रवार, 6 जनवरी 2012
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तेरी तलाश
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................
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ये कविता किसी बहुत बड़े दार्शनिक या विद्वान के लिए नही है | ये कविता है घर-घर जाकर काम करने वाली एक साधरण सी लड़की हिना के लिए | तुम्...
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मेरे मुरली मनोहर, इस वेदना में भी असीम शान्ति हैं , मन की अग्नि को शांत करता ये अश्रु जल हैं क्योकि इन सब की अंतरंगता में कान्हा तुम...