शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

मौसम


मेरे माधव !
घटा बन के बरसूं मैं ,
या राहों में तुम्हारी बिछ जाऊं
बोलो मेरे माधव !
किस तरह तुम्हारी भक्ति में निभाऊं
ना जानू ,
मैं कोई पूजा ना पाठ
मुझे सिर्फ तेरा नाम लेना याद
ये फिजा ये घटाएं आज मुझपे हैं मेहरबान
क्यों ना में आज अपने कृष्णा संग रास रचाऊ
श्री चरणों में अनुभूति

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................