मेरे माधव !
तेरे असीम स्नेह का आनंद
बहे मेरी इन अखियन से ,
किसको कहूँ ये अश्रु नहीं
बह गया हैं मेल सब मन का ,
बह गये हैं जीवन के सारे पाप
अश्रुओं में
मे तेरे इस असीम स्नेह की
दिव्यआनंद अनुभूति में
डूबी हैं तेरी ये अनुभूति मेरे माधव !
तेरे असीम स्नेह का आनंद
बहे मेरी इन अखियन से ,
किसको कहूँ ये अश्रु नहीं
बह गया हैं मेल सब मन का ,
बह गये हैं जीवन के सारे पाप
अश्रुओं में
मे तेरे इस असीम स्नेह की
दिव्यआनंद अनुभूति में
डूबी हैं तेरी ये अनुभूति मेरे माधव !